International Journal of Advanced Academic Studies
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2019, Vol. 1, Issue 2, Part A

मिथिला के पीठों से तंत्र एवं तांत्रिक परम्परा का सम्बन्ध


Author(s): प्रीति प्रिया

Abstract: भारत के साथ-साथ मिथिला में भी तंत्र और तांत्रिक परम्परा का विकास वस्तुतः कब हुआ और किस काल खण्ड से प्राप्त हुआ उस पर इतिहासकारों ने न तो बहुत अधिक शोध किये हैं और न ही इस परम्परा पर कोई ठोस अवधारणा या मत ही देखने को मिलता हैं। किन्तु इतना कहने में किसी प्रकार का विरोध कदापि नहीं होगा कि प्राचीन दुनियां में तंत्र और तांत्रिक परम्परायें न केवल आयुष विज्ञान से भी पूर्व से प्रचलित और मान्य रहा हैं बल्कि यह एक औषधीय परम्परा के रूप में नील नदी घाटी की मिश्र सभ्यता के साथ-साथ दजला फरात घाटी की तमाम सभ्यताओं, असिरिया, सुमेरिया, बेबीलोनिया के साथ-साथ विस्तृत ईरानी भू-खण्ड जिसमें कुवैत आदि देश भी शामिल था, से लेकर स्रिस्तानी दुनिया दूसरी विश्व में भी समग्र रूप से सर्वत्र व्याप्त रहा था।

DOI: 10.33545/27068919.2019.v1.i2a.282

Pages: 40-41 | Views: 1020 | Downloads: 403

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How to cite this article:
प्रीति प्रिया. मिथिला के पीठों से तंत्र एवं तांत्रिक परम्परा का सम्बन्ध. Int J Adv Acad Stud 2019;1(2):40-41. DOI: 10.33545/27068919.2019.v1.i2a.282
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