भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि एवं अंतर पीढ़ी संघर्ष: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन
Author(s): सुमन कुमारी
Abstract: भारत प्राचीन काल से ही जनसंख्या समूह का प्रधान क्षेत्र रहा है। प्राचीन और मध्य काल में प्राकृतिक आपदाओं, महामारियों, संक्रामक बीमारियों के प्रकोप तथा युद्धों आदि के कारण जनसंख्या की वृद्धि बहुत कम हो पाती थी और अनेक बार तो यह पहले से भी घट जाया करती थी। भारत में जनसंख्या की उल्लेखनीय वृद्धि 20वीं शताब्दी के तीसरे दशक से आरम्भ हुयी और इसकी गति स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् नियोजन काल में अधिक तीव्र हो गयी। चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार तथा महामारियों के नियंत्रण से मृत्युदर में तीव्रता से कमी आती गयी जिससे मृत्युदर 30 प्रति हजार से घटकर 8 प्रति हजार तक आ गयी है किन्तु जन्मदर 35 प्रति हजार से घटकर 26 प्रति हजार तक ही गिर पायी है। इस प्रकार जन्मदर और मृत्युदर के मध्य भारी अंतर के कारण जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने लगी।
सुमन कुमारी. भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि एवं अंतर पीढ़ी संघर्ष: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन . Int J Adv Acad Stud 2019;1(1):192-196. DOI: 10.33545/27068919.2019.v1.i1a.398