स्मृतियों में एक ‘‘मनुस्मृति’’
Author(s): डाॅ॰ ममता तिवारी
Abstract: मनुस्मृति भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। इसकी गणना विश्व के ऐसे ग्रंथो में की जाती है, जिनसे मानव ने वैयक्तिक आचारण और समाज रचना के लिए प्रेरणा प्राप्त की है। इससे प्रश्न केवल धार्मिक आस्था या विश्वास का नहीं है। मानव जीवन की आवश्यकताओं की पूत्र्ति किसी भी प्रकार आपसी सहयोगत या सुरूचिपूर्ण ढ़ंग से हो सके। यह अपेक्षा और आकांक्षा प्रत्येक सामाजिक व्यक्ति में होती है। विदेशों में इस विषय पर पर्याप्त खोज हुई है। हिन्दु समाज में तो इसका स्थान वेदत्रयी के उपरान्त है। मनुस्मृति भारतीय आचार संहिता का विश्वकोष है। मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हजार पाँच सौ श्लोक है। जिनमें सृष्टि की उत्पति, संस्कार नित्य और नैमितिक कर्म आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित आदि विषयों का उल्लेख है।
Pages: 124-125 | Views: 694 | Downloads: 341Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
डाॅ॰ ममता तिवारी. स्मृतियों में एक ‘‘मनुस्मृति’’. Int J Adv Acad Stud 2019;1(1):124-125.