2019, Vol. 1, Issue 1, Part A
आधुनिक समाज में विवाह संस्था की सामाजिक पुनर्रचना
Author(s): ऋतु जैन
Abstract: विवाह संस्था भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण सामाजिक संरचना है, जो पारंपरिक रूप से न केवल दो व्यक्तियों को, बल्कि दो परिवारों को भी जोड़ने का कार्य करती रही है। किंतु बीते कुछ दशकों में आधुनिकता, औद्योगिकीकरण, शिक्षा का विस्तार, महिला सशक्तिकरण, शहरीकरण, मीडिया प्रभाव और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे कई सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों ने विवाह संस्था की पारंपरिक अवधारणाओं को चुनौती दी है। यह शोध पत्र विवाह संस्था के इस सामाजिक पुनर्रचना की प्रक्रिया को समझने का प्रयास करता है।
इस शोध पत्र में यह विश्लेषण किया गया है कि कैसे प्रेम विवाह, अंतर्जातीय विवाह, लिव-इन रिलेशनशिप, विवाह की बढ़ती आयु, तलाक की स्वीकृति, विवाह में भागीदारी की सहमति और विवाह से इन्कार जैसी प्रवृत्तियाँ समाज में स्थान बना रही हैं। इसके अतिरिक्त, विवाह के प्रति युवा वर्ग के दृष्टिकोण, माता-पिता की भूमिका में परिवर्तन और सामाजिक वर्ग एवं आर्थिक स्थिति का भी इस संस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। आधुनिक संदर्भ में विवाह केवल एक सामाजिक कत्र्तव्य नहीं रह गया है, बल्कि यह एक वैयक्तिक चयन, सामाजिक स्वीकृति और आर्थिक सहयोग का माध्यम भी बन गया है। विवाह संस्था की पुनर्रचना के इस चरण में सामाजिक मूल्यों, सांस्कृतिक परंपराओं और नवाचार के बीच संतुलन को बनाए रखना आधुनिक समाज के लिए एक प्रमुख चुनौती है।
DOI: 10.33545/27068919.2019.v1.i1a.1510Pages: 271-275 | Views: 72 | Downloads: 25Download Full Article: Click Here