भारत में भ्रष्टाचार के व्यापक कारण हैं। इसके सूत्र नेता से लेकर प्रशासक तक में व्याप्त हैं। छोटे ओहदे वाले कलर्क से लेकर लाल बत्ती में चलने वाले बड़े आॅफिसर तथा मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाते हैं। इन सभी का अपना-अपना मूल्य-निर्धारित है जिसे पाकर ये आराम से बिक जाते हैं। इस तरह पूरे देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में परिव्याप्त भ्रष्टाचार में बहुआयामी कारण हैं। जब तक इनमें नैतिकता का विकास न हो सकेगा, जब तक इनमें संतोष की भावना नहीं आयेगी, तब तक भ्रष्टाचार से मुक्ति की कल्पना करना कल्पना ही बनकर रह जाएगी।
सरकार और प्रशासन में बैठे हुए इमानदार लोगों के माध्यम से ही यह महत्त्वपूर्ण कार्य संभव हो सकेगा, जिन्हें कोई भी खरीद न सके। इनके प्रयास से ही एक उन्नत तथा भ्रष्टाचार मुक्त राज और समाज के स्वप्न देखा जा सकता है।