International Journal of Advanced Academic Studies
  • Printed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

2020, Vol. 2, Issue 3, Part B

बच्चों के संवेगात्मक विकास में माता पिता की भूमिका एक अध्ययन


Author(s): रईसा खातुन

Abstract: प्रारंभिक बाल्यावस्था में विकास में जो महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं उनमें से एक यह है कि अपने व दूसरों के संवेगों के बारे में बात करने की क्षमता में वृद्धि होती हंै और संवेगों को समझ पाने की क्षमता में वृद्धि होती है। 2 से 4 साल के बीच बच्चे संवेगों को परिभाषित करने के लिए पहले से कहीं ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल करने लगते हैं। वे संवेगों के कारणों और परिणामों के बारे में भी सीखना शुरू कर देते हैं। वे इस बात की भी जागरूकता दिखाने लगते हैं कि उन्हें सामाजिक मापदण्डों के अनुरूप अपने संवेगों/भावनाओं को संभालना पड़ेगा। जब बच्चे 4-5 साल के होते हंै तब वे संवेगों पर विचार करने की अधिक क्षमता दिखाते हैं। वे ये भी समझने लगते हैं कि एक ही घटना अलग-अलग लोगों में अलग-अलग भावना जागृत करती है। वे भावनाओं का नियमन करने की बढ़ती जागरूकता दिखाने लगते हंै ताकि वे सामाजिक मापदण्डों के अनुरूप व्यवहार कर सकें।

DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i3b.130

Pages: 85-87 | Views: 2135 | Downloads: 408

Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
रईसा खातुन. बच्चों के संवेगात्मक विकास में माता पिता की भूमिका एक अध्ययन. Int J Adv Acad Stud 2020;2(3):85-87. DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i3b.130
International Journal of Advanced Academic Studies
Call for book chapter
Journals List Click Here Research Journals Research Journals