Abstract: उपन्यासक छःओ तत्व मे एकर स्थान सर्वोपरि मानल जाइत अछि। लोकक देहक सदृश्य एकरा उपन्यासक मेरुदण्ड (रीढ़) कहल जाइत अछि। प्रत्येक प्रकारक रचना मे एकर स्थान प्रमुख रहैत अछि। आलोचक लोकनि एकरा उपन्यासक प्रधानतत्व मानैत छथि। जहिना कोनो वस्तुक निर्माण करबाक लेल ओकर आधार स्तम्भ (नीब) होइत अछि। ठीक ओहिना साहित्योक निर्माण होइत अछि। हडसन उपन्यासकें कथा अवश्य कहैत छथि। फाँटर सेहो एहि मतक समर्थन करैत छथि। जहिना एहि सृष्टिक रचना कोना आ कहिना भेल ई प्रश्न हमरा मोन मे उठैत अछि। आसमान कथी पर टिकल अछि। पृथ्वी कथी पर स्थिर अछि। ठीक तहिना एहि साहित्यक रचनाक विषय अछि। जहिना ब्रह्मा सृष्टिक रचना केलनि, तहिना लोक में ‘बोली’ आ बोली सँ ‘भाषा’ आ भाषा सँ साहित्यक निर्माण भेल। आ एहि साहित्यक माध्यम सँ मानव समाज एक-दोसराक सम्पर्क मे आयल आओर एक समाज दोसर समाज सँ जुड़ल आ तखन साहित्य सँ अनेको प्रकारक विधाक निर्माण भेल।