Abstract: संसार परिवर्तनशील होइत अछि। एकरा ईहो कहि सकै छी जे परिवर्तने संसारक नियम थीक। संसारक एहि परिवर्तनक निमयक असरि साहित्योपर पडैत अछि, आ साहित्यमे सेहो परिवर्तन होइत रहल अछि। भाषासेहो एकर अपवाद नहि। संस्कृतकेँ देव भाषा कहल जाइत अछि, अर्थात् संस्कृत देवताक भाषा थिक। संस्कृतक ँ भारतीय भाषाक जननी सेहो कहल गेल अछि। अपना समयमे अर्थात् आदिकालसँ मध्यकालमे संस्कृत एकटा अकबाली भाषाक रूपमे देखाइ पडैछ। संस्कृतक पंडितलोकनि संस्कृत छोड़ि आन सभ भाषाकँ हेय दृष्टिसँ देखैत छलाह, ओ लोकनि मैथिलीमे लिखब वा पढ़ब हीनक बुझैत छल। विश्वक इतिहासमे एहन देखल गेल अछि जे कोनो देश अथवा भाषा इतिहासमे कोनो ने कोनो रूपमे क्रान्तिकारी पुरुष जन्म लैत रहल छथि।